बाबा हृदय हरकूं देखा ॥ध्रु०॥
ठाकूर द्वारीं बम्मन बैठा मक्के आंदर सीधारे ।
एक गुरुके दो चेले एक निमाजी एक पुंजारीरे ॥१॥
आपी भटी आपी मतमर आपी चुवावनवालारे ।
आपी पिवे और आपी पिलावे सांई मतवालारे ॥२॥
आपी मल आपी खजाना आपी लुटावनवाला रे ।
अपने घरकूं आप लुटावे आप नहीं घरवालारे ॥३॥
आपही काजी आपही मुल्ला आपही न्याववालारे ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु सबका एकही अल्लारे ॥४॥