हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे १५१ से २००| अजोध्यानगर चलो देखो मेरी ... कबीर के दोहे १५१ से २०० है कुई ऐसा मुरशद मौला । म... तन महिजतमें मन मुल्ला रहे... अव्वल शीर तो महीजद है । द... करना फकिनी भजना साहेब । क... निंदा मत करना किसकी सच्ची... हिंदु धरममें बम्मन आवे । ... बाबा हृदय हरकूं देखा ॥ध्र... राम रहीम करीम केशव अलख ना... तेरा अच्छा बी होयगा तेरा ... आखया नामकू येही प्रताप । ... आरोगो रघुबीर महा प्रभु आर... आरोगो रघुबीर महा प्रभु आर... राम भजनकूं दिया कमलमुख रा... सुन सुन साधोजी राजाराम कह... भवभंजन गुन गाऊं । रमते रा... घुंगुटका पट खोल । तुजे रा... अब तुम कब स्मरोग राम । जि... अजोध्यानगर चलो देखो मेरी ... निरधाराको धन राम । हमारे ... रामनाम धार चमकत है तरवार ... राम समरले हां पंजरके सोवा... रामजीसे राजी । मेरा दिल र... तूं तो राम सूमर जग लरवा द... जमसे नहीं डरूंगाबे । हरीक... खेती करो हरी नामकी मनवा ख... हरको नाम बगोल मेरा भाई । ... हरिका समरन करले बंदा काहे... हरी नामके बेपारी हम हरी न... हरबिना कोई काम न आयो । झू... हरी भजनकूं मानरे मतकर मोह... हरि तो नाम न लेत गवारा । ... ग्यान कटारी मोहे कसकर मार... ग्यानका शूल मारा सद्गुरु... गुरुबिन मारग नहीरे कबीरा ... कर समरनके रंग होरी खेलीये... करमकी बात है न्यारी हो । ... ऐसा कोई आदली आद्दल चलावे ... आंजन आंजाये निज सोय ॥ध्रु... सीताराम भजन कर लिजीओ मनवा... गुरु बिन कौन बतावे बाट ॥ध... गुरुजी आसरा तेरा । स्वामी... सद्गुरुका मरम न जाना । स... कोयको भरोसा द्रव्य और माय... दाता गुरु बिन कोय नहीं । ... कहे कबीरा सुना धर्मदासा ।... जयो मन सुकृत सत् कबीर ॥ध्... साधु दिन भरनेकु आये ॥ध्रु... साधूकी संगत पायी ज्याकी प... संतनके संग लाल तोरी अच्छी... संगत संतनकी करले जनमका सा... संतनके सब भाई हरजी ॥सं०॥ध... कबीर के दोहे - अजोध्यानगर चलो देखो मेरी ... कबीर के दोहे हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi". Tags : dohekabirकबीरदोहे कबीर के दोहे Translation - भाषांतर अजोध्यानगर चलो देखो मेरी सजनी राजा दशरथजीको रामजी भये ॥ टेक ॥ कौन घरे भरत भये सजनी कौन घरे राजा रामजी भये ॥१॥ भोर होत भरत भये सजनी मध्यदिवस राजा रामजी भये ॥२॥ बाजत ताल मृदंग झांज ढफ और पर चोप भये ॥३॥ तंबुवन तंबुवन नाचत ताफये सब रघुबंसी मगन भये ॥४॥ हरे हरे गोबर अंगना ढिपाये मोतीयनक चौक पुराये ॥५॥ अपने अपने भुवन ते निकसी गज मोतीयनके थार लये ॥६॥ चैतमास नौमिकी पूजा सुखें सरोवर नीरभरे ॥७॥ कहत कबीर दया सद्गुरुकी घरघर मंगलचार भये ॥८॥ N/A References : N/A Last Updated : January 07, 2008 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP