सद्गुरुका मरम न जाना । साधु भाई देखत जग गवरानाजी ॥ध्रु०॥
हिंदु कहे वो राम हमारा मुसलमान रहिमान ।
आपसमें दो लडलड मुवे दुर्बुद्धीका यो है पठानाजी ॥साधु०॥१॥
केतेक नेम धरमीक होवे प्रात करे आसनाना ।
आत्माराम वासनकूं पूजे उनका कौन गिनानाजी ॥साधु०॥२॥
केतेक पीर आवलिया कहावे पडत किताब कुराना ।
कहे हो मुराद कलिब बनावे उन्ने अल्ला नहीं जानाजी ॥साधु०॥३॥
इस ब्रीद चलद कहेवन हामको आप कहावे शानाजी ।
कहे कबीर सुन भाई साधु दोनोंके दैवत कौन दिवानाजी ॥साधु०॥४॥