नीराजनद्वादशी
( भविष्योत्तर ) -
कार्तिक कृष्ण द्वादशीको प्रातःस्त्रानसे निवृत्त होकर काँसे आदिके उज्ज्वल पात्रमें गन्ध, अक्षत, पुष्प और जलका पात्र रखकर देवता, ब्राह्मण, गुरुजन ( बड़े - बूढ़े ) , माता और घोड़े आदिका नीराजन ( आरती ) करे तो अक्षय फल होता है । यह नीराजन पाँच दिनतक किया जाता है ।