दीपदान
( कृत्यचन्द्रिका ) -
इसी दिन प्रदोषके समय तिल - तेलसे भरे हुए प्रज्वलित और सुपूजित चौदह दीपक लेकर
' यममार्गान्धकारनिवारणार्थे चतुर्दशदीपानां दानं करिष्ये ।'
से संकल्प करके ब्रह्मा, विष्णु और महेशादिके मन्दिर, मठ, परकोठा, बाग, बगीचे, बावली, गली, कूचे, नजरनिवास ( हमेशा निगाहमें आनेवाले बाग ), घुड़शाला तथा अन्य सूने स्थानोंमे भी यथाविभाग दीपस्थापन करे । इस प्रकारके दीपकोंसे यमराज संतुष्ट होते हैं ।