कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - नरकचतुर्दशी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


नरकचतुर्दशी

( लिङ्गपुराण ) -

यह भी इसी दिन होती है । इसके निमित्त चार बत्तियोंके दीपकको प्रज्वलित करके पूर्वाभिमुख होकर

' दत्तो दीपश्चतुर्दश्यां नरकप्रीतये मया । चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापनुत्तये ॥'

इसका उच्चारण करके दान करे । इस अवसरमें ( आतिशबाजी आदिकी बनी हुई ) प्रज्वलित उल्का लेकर

' अग्निदग्धाश्च ये जीवा येऽप्यदग्धाः कुले मम । उज्ज्वलज्योतिषा दग्धास्ते यान्तु परमां गतिम् ॥'

से उसका दान करे तो उल्का आदिसे मरे हुए मनुष्योंकी सद्गति हो जाती है ।

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Last Updated : January 22, 2009

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