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निवेदन - भगवान् तुम्हारे चरणों ...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


भगवान् तुम्हारे चरणों में, मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ।

वाणी में तनिक मिठास नहीं, पर विय सुनाने आई हूँ ॥१॥

प्रभुका चरणामृत लेने को, है पास मेरे कोई पात्र नहीं ।

आँखों के दोनों प्यालों में, कुछ भीख माँगने आई हूँ ॥२॥

तुमसे लेकर क्या भेंट धरुँ, भगवान् ! आपके चरणों में ।

मैं भिक्षुक हूँ तुम दाता हो, सम्बन्ध बताने आई हूँ ॥३॥

सेवा को कोई वस्तु नहीं, फिर भी मेरा साहस देखो ।

रो-रोकर आज आँसुओं का, मैं हार चढ़ाने आई हूँ ॥४॥

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Last Updated : January 22, 2014

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