सुनो श्यामसुन्दर बिनती हमारी ।
दरसन को आया दरस भिखारी ॥टेर।
तेज भँवर में फँस गयी नैया, तू ही बता अब कौन खिवैया ।
कृष्ण कन्हैया गिरवर धारी, हे नटनागर कुँजबिहारी ॥
हे नाथ आकर अब तो सँभालो, डूबती नैया मोरी पार लगालो ।
तेरी शरण में मैं आया नटवर, तुझे लाज रखनी होगी हमारी ॥
तुझ बिना कोई न मेरा जहाँ में, जाऊँ कहाँ अब तू ही बता दे ।
मेरी लाज जावे तो जावे भले ही, मगर नाथ होगी हाँसी तुम्हारी ॥