चेतो कर ले राम सुमर ले, सुख पावेगी काया जी,
बिना राम रघुनाथ भजन बिन, बृथा जनम गमाया जी ॥ टेर ॥
नौ दस मास गरभ के अन्दर ऊँदै सिर लटकाया जी
बाहर आन पड़यो धरनी पर, रोदन बहुत मचाया जी ॥ १॥
बालपनो खेलनमें खोयो, मता लाड लडाया जी,
आई जवानी तिरिया प्यारी, वाँसै नेह लगाया जी ॥ २॥
कहाँसे आया क्या करना था, माया देख लुभाया जी,
कर विचार कहाँ जायेगा, फिर ना रहेगी काया जी ॥३॥
उत्तम जूण अमोलक हीरा, कैसे भूल गमाया जी,
कह घनश्याम चेत कर बन्दे, सत् गुरु राह बताया जी ॥४॥