जगमें होनहार बलवान, इसे कोई ना समझो झूठी ॥ टेर॥
होनीको परतापके करी म्हैलनमें रुठी
राम गये बनवास देह नृप दशरथकी छूटी ॥१॥
होनीको परताप एक दिन रावणपर बीती
दियो विभीषण राज लंक गढ़ सुवरणकी टूटी ॥२॥
होनीको परताप एक दिन अर्जुनपर बीती
बै अर्जुन बै बाण गोपियाँ भीलणनै लूटी ॥३॥
होनीको परताप एक दिन नल ऊपर बीती
घासीराम चेत मन मूरख चौरासी छूटी ॥४॥