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ॐ जय जगदीश हरे , प्रभु...

विविध - ॐ जय जगदीश हरे , प्रभु...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


ॐ जय जगदीश हरे, प्रभु जय जगदीश हर !!

भक्तजनोंके संकट, क्षणमें दूर कर ॥ ॐ जय ॥

जो ध्यावै फल पावै, दु:ख बिनसै मनका ॥ प्रभु ॥

सुख-सम्पति घर आवै, कष्ट मिटै तनका ॥ ॐ जय ॥

मात-पिता तुम मेरे शरण गहूँ किसकी ? ॥ प्रभु ॥

तुम बिन और न दूजा, आस करुँ जिसकी ॥ ॐ जय ॥

तु पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ॥ प्रभु ॥

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ॐ जय ॥

तुम करुणाके सागर, तुम पालनकर्ता ॥ प्रभु ॥

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ! ॥ ॐ जय ॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपती ॥ प्रभु ॥

किस विधि मिलूँ दयामय ! तुमको मैं कुमती ॥ ॐ जय ॥

दीनबन्धु दु:खहर्ता, तुम ठाकुर मेरे ॥ प्रभु ॥

अपने हाथ उठावो, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॐ जय ॥

बिषय-बिकार मिटाओ पाप हरो देवा ॥ प्रभु ॥

श्रध्दा-भक्ति बढ़ाओ; सन्तनकी सेवा ॥ ॐ जय ॥

तन-मन-धन सब है तेरा, स्वामी सब कुछ है तेरा ॥ प्रभु ॥

तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेर ॥ ॐ जय ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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