म्हाने रामजी सदा बर दीज्यो हे माय ।
अमराँ पुर म्हारो सासरो ॥
म्हाने इण जग में मति राखो हे माय !
किसो भरोसो इण सासरो ॥ टेर ॥
मैं जो अयानी धीवड़ नानी,
म्हारी माता बड़ी विधाता हे माय ॥१॥
बाबल ज्ञानी सब सिधि जानी,
म्हाने चार पदारथ दाता हे माय ॥२॥
चँवरी मांडी कदे नहीं रांडी,
म्हारो सतगुरु लगन लिखायो हे माय ॥३॥
सदा सुहागण कदे न दुहागण,
अजर अमर पद पायो हे माय ॥४॥
सदा सपूती कदे न अपूती,
म्हारे शब्द पुत्र भल जायो हे माय ॥५॥
रामदास चरण निबासा,
ये तो दयाल बाल जस गायो हे माय ।