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आरामके साथी क्या -क्या ...

विविध - आरामके साथी क्या -क्या ...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


आरामके साथी क्या-क्या थे, जब वक्त पड़ा तब कोई नहीं ।

सब दोस्त हैं अपने मतलबके, दुनियाँमें किसीका कोई नहीं ॥ १ ॥

सुल्तान जहाँ माशूक जो थे, सूने हैं पड़े मरघट उनके ।

जहाँ चाहनेवाले लाखों थे, वहाँ रोनेवाला कोई नहीं ॥ २ ॥

जो खूब अकड़के चलते थे, वे आज फिरत मारे-मारे ।

जहाँ फुरसत बात करनकी न थी, बतलानेवाला कोई नहीं ॥ ३ ॥

ये भाई बन्धु लोग सभी, जो दीखत है अपने-अपने ।

इस जगके भीतर धर्म सिवा, आखिर में तुम्हारा कोई नहीं ॥ ४ ॥

अठराह पुराण बनाये थे, पर अन्त बचन ये दो ही कहे ।

पर-पीड़न सम कुछ पाप नहीं, नेकी सम पुण्य है कोई नहीं ॥ ५ ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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