हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे १ से ५०| भीमा किनारे मुर्शद मोला प... कबीर के दोहे १ से ५० ठाडे बिटपर निकट कटिपर कर ... निकट भीमाके तट ठारे कर रख... सब आलमका रखनेवाला बिठ्ठल ... है कुई ऐसा ये दुनयामों जा... याद करो मौलाकी । बिठ्ठल प... भीमा किनारे मुर्शद मोला प... सुनो प्यारे हरीरे भगत । प... देख बे देखें यह अलखने पलख... बंगला खूप बनायाबे अंदर ना... क्या खुब सुरत अल्लानें तु... देख आगे आंखिया न बुझे फेर... नरतनुसे आया बाबा मुखकमल त... क्या देखे चमडेकी बर्हाई ... नरतनु जावे पस्तावेगा । फे... तनका नहीं भरोंसा वे देखा ... अखेर मरना है मरना है । तु... कोई मोठा राव और राना । जि... इस तन धनकी कौन बढाई । देख... काया नहीं तेरी नहीं तेरी ... काया तुजे घडिये न राखे को... नहीं तनुका भरंसा जैसा पाण... आजका लाये ओ लीजिये काल को... गुदी ये क्या गुमाना दे ये... मुखरा क्या देखे दरपनमों ।... जमका अजब तडाका बे । तूं क... गाफल मत रहेना बेटा सिरपर ... क्यौं आंखियामें भरी धुंदी... दौरा दौरी करकर बहुत खजाना... सब पैसेके भाई । आपना साथी... सब पैसेके भाई दिलका साथी ... खेल सब पैसेका सब कुच बाता... क्या नयना चमकावे सुंदर ॥ध... क्या देखे बादलकी छाया । क... हर कछू करनारे साहेब राजी ... क्या धुंदि आखोंमें यारो ।... ये जिंदगी किसीकी । आखेर म... छोटीसी जिंदगानी ऊपर क्या ... क्यारे गुमानी करनाबे । सा... कर गुजरान गरिबोंमें मगरूर... कायकूं माया जोडीरे । नर क... तजी दियो प्राण काया कैसी ... देखो भाई सब माया झूटी है ... कलजुगवा मैं भज नहीं ॥ध्रु... जग भये उफरटे झुटेकू साहेब... ये दुनिया बुरी है आपआपसे ... ऐसी चकमक होती यारो गरीबके... कवन सुख बिखयामों भाई । बड... ये पेट बडा बाका सबसे लगा ... कबीर के दोहे - भीमा किनारे मुर्शद मोला प... कबीर के दोहे हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi". Tags : dohekabirकबीरदोहे कबीर के दोहे Translation - भाषांतर भीमा किनारे मुर्शद मोला पीर पैगंबर बडा है । तनके दरगा म्यागे साई आकल आकेला खडा है ॥१॥ वोही हमारा अल्ला हे मुरशद पीर मौला है ॥ध्रु०॥ सब घट म्यानें घरघर भरा वोही आकल आकेला है । जिदर देखे उदर भरा मौजुद उनोका बोलबाला है ॥२॥ नामा दरजी बङा हटेला आपसे दूध पिलाये हैं । बंदा उनोका नारा माहादा जनी खाना खिलाया है ॥३॥ क्यां कहूं उनोकी तारीफ बाबा तीनो लोकमें भरा है । कहत कबीर सुनो भाई साधु जमकाल हमसे डर भागा है ॥४॥ N/A References : N/A Last Updated : January 07, 2008 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP