कोई मोठा राव और राना । जिन्ने जोधपुर बंधाना ।
सो नर सोता है मसाना ॥१॥
जो नर कुर कपुरे जमता । जो नर सुख पालो सन मरता ।
सो मैं नजरे देखा जलता ॥२॥
अरे बंदा मरना तुम जानी । देख गुरुकी निशानी ।
अरे तेरी खरी जात बेमानी ॥३॥
कहत कबीर सुनरे भाई । तेरे तात मात ले गई ।
ये सब झूटी जाल लगाई ॥४॥