क्या नयना चमकावे सुंदर ॥ध्रु०॥
रूपा पेहेरे रूप दिखावे सुन्ना पेहेर रिझावे ।
गले पेहने मोतनकी माला तीन लोग ललचावे ॥१॥
टकमक नयन फिरावे बहुतनकू रिझावें ।
हम नहीं वैसे कौशिक मुनिसे कुत्ता करके फिरावे ॥२॥
कहत कबीरा सुनभाई साधु दिन दिन भक्ती बढावे ।
हरी चरनकीं लेऊं बलय्या तनकी आस न पावे ॥३॥