गुदी ये क्या गुमाना दे ये तनु मटिमें मिल जाना ॥ध्रु०॥
मिट्टी बिन बिन मेहेल बनाया प्राण कहे घर मेरा ।
तेरा मेरा सब छोड चलेगा कौन करेगा केरा । ये तनु० ॥१॥
बाबा सांई तो मुदियां उडावे बिच बिच लंबी दोर ।
दोरिया तुट गई गुदियां निकस पडी पडे नगरमे शोहारे ॥२॥
मोठी पूछा कुमारकूरे तूं क्या गुदेयी माये ।
एक दिन ऐसा आवसिरे तुजे गुदे हर कोये ॥३॥
देहका मरम कोईकुं न मिला जो मिलासो गरजी ।
मारी कोईकुं न मिला जो मिलासो गरजी ।
मारी घाव कलेजा लागे कबलग सिबे दरजी ॥४॥
धनबी जायगा जोबनबी जायगा ये संसार तमासा ।
लाख टक्केकी सुरतबी जायेगा होयेगा जंगड बासा ॥५॥
मट्टीखाना मट्टी पीना मट्टी सब जुग भरोसा ।
अंतकाल जरतार पेहरेना अखेर मरनेकी आसा ॥६॥
दसवी जोडे बिसंवी जोडे जोडे सो पचासा ।
अंतकालकूं और भी जोडना आवेगा रति मासा ॥७॥
मट्टी ओढग मट्टी बिछाना मट्टीका शरना ।
मट्टीका कबीर बनाया । उन बिच पवन लोभाना ॥८॥