कर गुजरान गरिबोंमें मगरूरी किसपर करतारे ॥ध्रु०॥
मट्टी चुन चुन मेहल बनायो लोक कहे घर मेरारे ।
ना घर तेरा ना घर मेरा चुरिया रहे बसेलरे ॥१॥
ये दुनियामें कोई नहीं आपना । आपना कहेतारे ।
कची मटीका बना तूं पुतला घडी पलकमें ढलतारे ॥२॥
ये दुनियामें नाटक चेटक भुला भटकता फिरतारे ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु एक सच्चा एक झूटारे ॥३॥