ये जिंदगी किसीकी । आखेर मट्टी भयेगी तनकी ॥ध्रु०॥
झूटी काया झूटी माया झूटा राजा रानी ।
कोन किसीका देखो यारो झूटा मिरगजल पानी ॥१॥
बङा हट्टी रावन राजा एक लाख भयो पुती ।
सुन्नेकी लंका छांड गया पडे मूमें मट्टी ॥२॥
कहत कबीरा सुनो भाई साधु राम भजो दिनराती ।
औरत दौलत सबही पसारा । खावे जनमकी गोती ॥३॥