सब पैसेके भाई दिलका साथी नहीं कोई ॥ध्रु०॥
खानेपिनेकूं पैसा होय तो जोरू बंदगी करे ।
एक दिन खाना नहीं मिले तो फिरके जबाब करे ॥ सब०॥१॥
जब लग अपने पलोमें पैसा तब लोग सलाम करे ।
अपना पैसा निकल गया तो कोई नहीं मिठ्ठा बोले ॥ सब०॥२॥
भाईबंद और बहीन साले सब पैसेके भाई ।
कौन किसीका नहीरे प्यारे कहत कबीर सुनाई ॥३॥