हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|ललितकिशोरी| मुसाफिर रैन रही थोरी । ज... ललितकिशोरी मन पछितैहौ भजन बिनु कीने ... मुसाफिर रैन रही थोरी । ज... अब का सोवै सखि । जाग जाग ... साधो , ऐसिइ आयु सिरानी । ... लाभ कहा कंचन तन पाये । भ... रे निरमोही , छबि दरसाय जा... लजीले , सकुचीले , सरसीले ... दुनियाके परपंचोंमें हम मज... मुरकि मुरकि चितवनि चित चो... नैन चकोर , मुखचंदहूको बार... मैं तुव पदतर रेनु रसीली ।... कमलमुख खोलौ आजु पियारे । ... अब कुलकानि तजे ही बनैगी ।... भजन - मुसाफिर रैन रही थोरी । ज... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanlalitakishoriभजनललितकिशोरी गौरी Translation - भाषांतर मुसाफिर रैन रही थोरी । जागु-जागु सुख-नींद त्यागि दै, होत बस्तु की चोरी ॥ मंजिल दूरि भूरि भवसागर, मान क्रूर मति मोरी । ललितकिसोरी हाकिमसों डरु, करै जोर बरजोरी ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 22, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP