भजन - मुसाफिर रैन रही थोरी । ज...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


मुसाफिर रैन रही थोरी ।

जागु-जागु सुख-नींद त्यागि दै, होत बस्तु की चोरी ॥

मंजिल दूरि भूरि भवसागर, मान क्रूर मति मोरी ।

ललितकिसोरी हाकिमसों डरु, करै जोर बरजोरी ॥

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Last Updated : December 22, 2007

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