भजन - साधो , ऐसिइ आयु सिरानी । ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
साधो, ऐसिइ आयु सिरानी ।
लगत न लाज लजावत संतन, करतहिं दंभ छदंभ बिहानी ॥१॥
माला हाथ ललित तुलसी गर, अँग-अँग भगवत छाप सुहानी ।
बाहिर परम बिराग भजनरत, अंतस मति पर-जुबति नसानी ॥२॥
सुखसों ग्यान-ध्यान बरनत बहु, कानन रति नित बिषय कहानी
ललितकिसोरी कृपा करौ हरि, हरि संताप सुहृद, सुखदानी ॥३॥
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Last Updated : December 22, 2007

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