हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|ललितकिशोरी| मैं तुव पदतर रेनु रसीली ।... ललितकिशोरी मन पछितैहौ भजन बिनु कीने ... मुसाफिर रैन रही थोरी । ज... अब का सोवै सखि । जाग जाग ... साधो , ऐसिइ आयु सिरानी । ... लाभ कहा कंचन तन पाये । भ... रे निरमोही , छबि दरसाय जा... लजीले , सकुचीले , सरसीले ... दुनियाके परपंचोंमें हम मज... मुरकि मुरकि चितवनि चित चो... नैन चकोर , मुखचंदहूको बार... मैं तुव पदतर रेनु रसीली ।... कमलमुख खोलौ आजु पियारे । ... अब कुलकानि तजे ही बनैगी ।... भजन - मैं तुव पदतर रेनु रसीली ।... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanlalitakishoriभजनललितकिशोरी अल्हैया Translation - भाषांतर मैं तुव पदतर रेनु रसीली । तेरी सरवरि कौन करि सकै प्रेममई मूरति गरबीली ॥ कोटिहु प्रान वारनें करिकै उरिनि न तोसों प्रीति रँगीली ।अपनी प्रेम छटा, करुना करि दीजै दान दयाल छबीली ॥का मुख करौं बड़ाई राई, ललितकिसोरी केलि हठीली ।प्रीति दसांस सतांस तिहारी, मोमें नाहिन नेह नसीली ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 22, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP