भजन - मैं तुव पदतर रेनु रसीली ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


मैं तुव पदतर रेनु रसीली ।

तेरी सरवरि कौन करि सकै प्रेममई मूरति गरबीली ॥

कोटिहु प्रान वारनें करिकै उरिनि न तोसों प्रीति रँगीली ।

अपनी प्रेम छटा, करुना करि दीजै दान दयाल छबीली ॥

का मुख करौं बड़ाई राई, ललितकिसोरी केलि हठीली ।

प्रीति दसांस सतांस तिहारी, मोमें नाहिन नेह नसीली ॥

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Last Updated : December 22, 2007

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