भजन - रे निरमोही , छबि दरसाय जा...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


रे निरमोही, छबि दरसाय जा ।

कान चातकी स्याम बिरह घन, मुरली मधुर सुनाय जा ।

ललितकिसोरी नैन चकोरन, दुति मुखचंद दिखाय जा ॥

भयौ चहत यह प्रान बटोही, रुसे पथिक मनाय जा ॥

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Last Updated : December 22, 2007

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