कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - वह्निमहोत्सव

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


वह्निमहोत्सव

( मत्स्यपुराण ) - कार्तिक शुक्लपक्षकी भौमयुक्त षष्ठीको अग्निका और स्वामी कार्तिकका पूजन करे और दक्षिण दिशाकी ओर मुख करके घी, शहद, जल और पुष्पादि लेकर

' सप्तर्षिदारज स्कन्द सेनाधिप महाबल । रुद्रोमाग्निज षडवक्त्र गङ्गगर्भ नमोऽस्तु ते ॥'

से अर्घ्य दे और ब्राह्मणको आमान्न ( भोजनयोग्य आटा, दाल आदि ) देकर आप भोजन करे तथा रात्रिमें भूमिपर सोये तो रोग - दोषादि दूर हो जाते हैं ।

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Last Updated : January 22, 2009

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