वह्निमहोत्सव
( मत्स्यपुराण ) - कार्तिक शुक्लपक्षकी भौमयुक्त षष्ठीको अग्निका और स्वामी कार्तिकका पूजन करे और दक्षिण दिशाकी ओर मुख करके घी, शहद, जल और पुष्पादि लेकर
' सप्तर्षिदारज स्कन्द सेनाधिप महाबल । रुद्रोमाग्निज षडवक्त्र गङ्गगर्भ नमोऽस्तु ते ॥'
से अर्घ्य दे और ब्राह्मणको आमान्न ( भोजनयोग्य आटा, दाल आदि ) देकर आप भोजन करे तथा रात्रिमें भूमिपर सोये तो रोग - दोषादि दूर हो जाते हैं ।