हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|कार्तिकके व्रत|कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत| तुलसीविवाह कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत गोवर्धनपूजा अन्नकूट मार्गपाली यमद्वितीया नागव्रत जयापञ्चमी वह्निमहोत्सव शाकसप्तमी गोष्ठ अष्टमी नवमीव्रत सार्वभौमव्रत आशादशमी आरोग्यव्रत राज्यप्राप्तिव्रत ब्रह्मप्राप्ति व्रत शुक्लैकादशी प्रबोधैकादशीकृत्य भीष्मपञ्चक तुलसीविवाह तुलसीवास ब्रह्मकूर्च पाषाणचतुर्दशी वैकुण्ठचतुर्दशी कार्तिकी कार्तिकीका उद्यापन कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - तुलसीविवाह व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : festivalkartikvratकार्तिकमहिनाव्रतसण तुलसीविवाह Translation - भाषांतर तुलसीविवाह ( विष्णुयामल ) - पद्मपुराणमें कार्तिक शुक्ल नवमीको तुलसीविवाहका उल्लेख किया गया है; किंतु अन्य ग्रन्थोंके अनुसार प्रबोधिनीसे पुर्णिमापर्यन्तके पाँच दिन अधिक फल देते हैं । व्रतीको चाहिये कि विवाहके तीन मास पूर्व तुलसीके पेड़को सिंचन और पूजनसे पोषित करे । प्रबोधिनी या भीष्मपञ्चक अथवा ज्योतिः शास्त्रोक्त विवाहमुहूर्तमें तोरण - मण्डपादिकी रचना करके चार ब्राह्मणोंको साथ लेकर गणपति - मातृकाओंका पूजन, नान्दीश्राद्ध और पुण्याहवाचन करके मन्दिरकी साक्षात् मूर्तिके साथ सुवर्णके लक्ष्मीनारायण और पोषित तुलसीके साथ सोने और चाँदीकी तुलसीको शुभासनपर पूर्वाभिमुख विराजमान करे और सपत्नीक यजमान उत्तराभिमुख बैठकर ' तुलसी - विवाह - विधि ' के अनुसार गोधूलीय समयमें ' वर ' ( भगवान् ) का पूजन, ' कन्या ' ( तुलसी ) का दान, कुशकण्डीहवन और अग्नि - परिक्रमा आदि करके वस्त्राभूषणादि दे और यथाशक्ति ब्राह्मण - भोजन कराकर स्वयं भोजन करे । N/A References : N/A Last Updated : January 22, 2009 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP