कार्तिकीका उद्यापन
( व्रतोद्यापन - प्रकाश ) - कार्तिक शुक्ल चतुर्दशीको गणपति - मातृका, नान्दीश्राद्ध, पुण्याहवाचन, सर्वतोभद्र, ग्रह और हवनकी यथापरिमित वेदी बनवाकर रात्रिके समय उनपर उक्त देवोंका स्थापन और पूजन करे । इसके लिये अपनी सामर्थ्यके अनुसार सुवर्णकी भगवानकी सायुध - मूर्ति बनवाकर व्रतोद्यापनकौमुदी या व्रतोद्यापनप्रकाशादिके अनुसार सर्वतोभद्रमण्डल स्थापित किये हुए सुवर्णादिके कलशपर उक्त मूर्तिका यथाविधि स्थापन, प्रतिष्ठा और पूजन करके रात्रिभर जागरण करे और पूर्णिमाके प्रभातमें प्रातःस्त्रानादि करके गोदान, अन्नदान, शय्यादान, ब्राह्मणभोजन ( ३० जोड़ा - जोड़ी ) और व्रतविसर्जन करके जाति - बान्धवोंसहित भोजन करे ।