आशादशमी
( भविष्योत्तर ) -
धन, राज्य, खेती, वाणिज्य या पुत्रादि प्राप्त होनेकी आशा पूर्ण होनेके लिये कार्तिक शुक्ल दशमी ( या किसी भी शुक्ल दशमी ) को स्त्रान करके शुद्ध स्थानमें जौके चूर्णसे सायुध और स्वस्वरुपयुक्त इन्द्रादि दिकपालोंको लिखकर उनका पूजन करे । गन्ध - पुष्पादि चढ़ाये । घीसे भलीभाँति भीगा हुआ भोजन और कालजात ( उस ऋतुके ) फल अर्पण करे । दीपक जलाये और
' आशाः स्वाशाः सदा सन्तु सिद्धन्तां मे मनोरथाः । भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति ॥'
से प्रार्थना करे । इस प्रकार वर्षपर्यन्त करे तो धनार्थी, पुत्रार्थी, सुखार्थी, राज्यार्थी या अन्यकामार्थी आदिकी धन, पुत्र, सुख, राज्य और काम आदिकी आशा सफल हो जाती है ।