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बिल्व अष्टोत्तरशतनामावलिः
अष्टोत्तरशतनामावलिः म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे, जी जप करताना म्हणावयाची असतात. नावे घेताना १०८ मण्यांची जपमाळ वापरतात. Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess
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बिल्व
Meanings: 29; in Dictionaries: 9
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बिल्वाष्टकम् - त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रि...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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बिल्व-पत्र
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बिल्वदळ
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शाकविन्दक
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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कृच्छ्रारि
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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बैल्वज
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बैल्ववन
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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बिल्वकीया
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बिल्ववनमाहात्म्य
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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लीलाशुक
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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श्रीफलकृच्छ्र
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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व्रतोदयान - अथरुद्रलक्षवर्तिव्रतम्
ऋग्वेदीयब्रह्मकर्मसमुच्चयः
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विल्ल
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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शिलूष
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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बैल्व
Meanings: 8; in Dictionaries: 2
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दशमूळ
Meanings: 5; in Dictionaries: 1
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बेलफळ
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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विल्व
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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शाकबिल्व
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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श्रीवृक्ष
Meanings: 8; in Dictionaries: 2
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हृद्यगन्ध
Meanings: 10; in Dictionaries: 2
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रौच्य
Meanings: 13; in Dictionaries: 7
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धर्मसिंधु - विष्णूस प्रिय पुष्पे
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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कामाख्या सिद्धी - स्थलमातृका पूजन
कामरूप कामाख्या में जो देवी का सिद्ध पीठ है वह इसी सृष्टीकर्ती त्रिपुरसुंदरी का है ।
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दशमूल
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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दीर्घमूल
Meanings: 12; in Dictionaries: 2
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पञ्चपल्लव
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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नवकुंड
सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.
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श्रीफल
Meanings: 15; in Dictionaries: 6
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अष्टि
निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली.
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बिल्वाष्टकम् - बिल्वाष्टकम् ॥ त्रिदलं त्...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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बिल्वाष्टकम् - त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रि...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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कर्कोट
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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पंचवटी
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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शंकराची आरती - अभिनव सुंदर गंगाकाशी पुरव...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
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धर्मसिंधु - शिवास प्रिय पुष्पे
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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बेल
Meanings: 37; in Dictionaries: 7
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कामाख्या सिद्धी - जप नियम
कामरूप कामाख्या में जो देवी का सिद्ध पीठ है वह इसी सृष्टीकर्ती त्रिपुरसुंदरी का है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - शिवचतुर्दशीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मुक्तेश्वरांची कविता
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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मार्गशीर्ष शु. चतुर्दशी
Margashirsha shudha Chaturdashi
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शल्यम्
Meanings: 33; in Dictionaries: 2
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पञ्चवटी
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
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यूप
Meanings: 22; in Dictionaries: 7
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आरती - आरती नववी
श्रीमज्जगज्जननी, त्रिभुवनसुंदरी श्रीरेणुकामाऊलीचे अत्यंत लाडके पुत्र श्रीमत्परमहंस श्रीसद्गुरू पुरूषोत्तमानंद सरस्वति उर्फ श्रीविष्णुकवि महाराज यांच्या कवितांचा हा अनमोल ठेवा.
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द्वितीय परिच्छेद - षष्ठी
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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पूजा विधी - श्रीसूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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बृहत्संहिता - अध्याय ५९
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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