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hindi charitra kosha
"Hindi - Charitra Kosha" is one of the very niche project where we have uploaded all the Characters from Puran and Ved in the form of dictionary. Each character / person from Hindu History is also added with references to the Texts that illustrated. See all entries in Hindi Charitra Kosha here.
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hindi
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hindi assistant
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hindi/english typist
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hindi translator
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प्रासंगिक कविता - प्रसंग १
समर्थ,hindi,pad,ramdas,samarth,पद,रामदास,हिन्दी
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फाल्यांcannot be a noun even in hindi
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part time hindi teacher
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arrangement may be made to translate the .... into hindi
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे २१ ते २५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे ३१ ते ३५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे २६ ते ३०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे ४६ ते ५०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे १ ते ५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे ११ ते १५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे ३६ ते ४०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे ४१ ते ४५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे ६ ते १०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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हिंदुस्थानीं पदें - पदे १६ ते २०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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निरंजनकृत हिंदुस्थानीं पदें
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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मूर्खलक्षणनाम - ॥ समास पांचवां - रजोगुणलक्षणनाम ॥
इस ग्रंथराज के गर्भ में अनेक आध्यात्मिक ग्रंथों के अंतर्गत सर्वांगीण निरूपण समाया हुआ है ।
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बहुजिनसी - ॥ समास नववां - निद्रानिरूपणनाम ॥
‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे ।
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मंत्रों का नाम - ॥ समास छठवां - शुद्धज्ञाननिरूपणनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
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ज्ञानदशक मायोद्भवनाम - ॥ समास चौथा - सूक्ष्मपंचभूतनिरूपणनाम ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
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जगज्जोतिनाम - ॥ समास सातवां - सगुणभजननिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
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अखंडध्याननाम - ॥ समास सातवां - युगधर्मनिरूपणनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
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सगुणपरीक्षा - ॥ समास आठवा - आधिदैविकतापनाम ॥
श्रीमत्दासबोध के प्रत्येक छंद को श्रीसमर्थ ने श्रीमत्से लिखी है ।
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ज्ञानदशक मायोद्भवनाम - ॥ समास आठवां - आत्मदर्शननाम ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
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हिंदी पदें - पदे १ ते १०
मध्वमुनीश्वरांची कविता
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हिन्दी पदे - उपदेशपर पदें
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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मंत्रों का नाम - ॥ समास दूसरा - गुरुलक्षणनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
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दशक तेरहवां - नामरूप
'ऐसी इसकी फलश्रुति' डॉ. श्री. नारायण विष्णु धर्माधिकारी कृत.
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बहुजिनसी - ॥ समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम ॥
‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे ।
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मानसागरी - अध्याय ३ - होराफल
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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भीमदशक - ॥ समास दसवां - निस्पृहवर्तणुकनाम ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
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आत्मदशक - ॥ समास सातवां - अधोर्धनिरूपणनाम ॥
देहप्रपंच यदि ठीकठाक हुआ तो ही संसार सुखमय होगा और परमअर्थ भी प्राप्त होगा ।
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अखंडध्याननाम - ॥ समास नववां - शाश्वतनिरूपणनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
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मानसागरी - अध्याय ४ - पञ्चमहापुरुषभङ्गयोग
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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तत्त्वान्वय का - ॥ समास नववां - नानाउपासनानिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
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भीमदशक - ॥ समास आठवां - अंतरात्माविवरणनाम ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
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विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास पांचवां - आत्मनिवेदननाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
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चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास दूसरा - ब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
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शिकवणनाम - ॥ समास तीसरा - करंटलक्षणनिरूपणनाम ॥
परमलाभ प्राप्त करने के लिए स्वदेव का अर्थात अन्तरस्थित आत्माराम का अधिष्ठान चाहिये!
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नवविधाभक्तिनाम - ॥ समास दसवां - मुक्तिचतुष्टये नाम ॥
‘हरिकथा’ ब्रह्मांड को भेदकर पार ले जाने की क्षमता इसमें है ।
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दशक बीसवां - पूर्णदशक
'ऐसी इसकी फलश्रुति' डॉ. श्री. नारायण विष्णु धर्माधिकारी कृत.
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नवविधाभक्तिनाम - ॥ समास आठवां - सख्यभक्तिनिरुपणनाम ॥
‘हरिकथा’ ब्रह्मांड को भेदकर पार ले जाने की क्षमता इसमें है ।
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प्रकृतिपुरुष का - ॥ समास आठवां - तत्त्वनिरूपणनाम ॥
यह ग्रंथ श्रवण करने का फल, मनुष्य के अंतरंग में आमूलाग्र परिवर्तन होता है, सहजगुण जाकर क्रिया पलट होता है ।
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चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास तीसरा - चतुर्दशब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
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ज्ञानदशक मायोद्भवनाम - ॥ समास दूसरा - सूक्ष्मआशंकानाम ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
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प्रासंगिक कविता - प्रसंग ४
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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