हमारे प्रभु कब मिलिहै घनश्याम ।
तुम बिन ब्याकुल फिरत चहूँ दिशि
मन न लहै बिश्राम ॥ हमारे प्रभु० ॥
दिन नहिं चैन रैन नहिं निदिया
कल न परे बसु याम ॥ हमारे प्रभु० ॥
जैसे मिले प्रभु बिप्र सुदामहिं
दीन्हें कंचन धाम ॥ हमारे प्रभु०॥
रूपकुँवरि रानी सरनागत
पूरन कीजे काम ॥ हमारे प्रभु० ॥