हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे ॥
चह ब्रज ग्वाल बाल गिपिनके चह ब्रज बनचर कीजे ।
चह ब्रज धेनु चाहि ब्रज बछरा चह ब्रज तृणचर कीजे ॥
चह ब्रज लता चहै ब्रज सरिता चह ब्रज जलचर कीजे ।
चह ब्रज कीच नीच ऊँचन घर चह ब्रज फणचर कीजे ॥
चह ब्रज बाट घाट पनघट रज चह ब्रज थलचर कीजे ।
चह ब्रज भूप-भवनकी किंकरि चह ब्रज घुड़चर कीजे ॥
चह ब्रज चकइ चकोर मोर कर चह ब्रज नभचर कीजै ।
रूपकुँवरि दासी दासिनको चह अनुचरी करीजै ॥