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नाथ मुहिं कीजै ब्रजकी मोर...

भजन - नाथ मुहिं कीजै ब्रजकी मोर...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


नाथ मुहिं कीजै ब्रजकी मोर ।

निश इन तेरो नृत्य करौंगी ब्रजकी खोरन खोर ॥

श्याम घटा सम घात निरखिके कूकोंगी चहुँ ओर ।

मोर मुकुट माथेके काजें दौहों पंखा टोर ॥

ब्रजबासिन सँग रहस करूँगी नचिहौं पंख मरोर ।

रूपकुँवरि रानी सरनागत जय जय जुगलकिशोर ॥

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Last Updated : December 23, 2007

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