हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|रानी रूपकुँवरिजी|
जागहु ब्रजराज लाल मोर मुक...

भजन - जागहु ब्रजराज लाल मोर मुक...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जागहु ब्रजराज लाल मोर मुकुटवारे ।

पक्षी ध्वनि करहिं शोर अरुण वरुण भानु भोर

नवल कमल फूल रहे भौंरा गुनजारे ॥

भक्तनके सुने बयन जागे करुणाके अयन

पूजी मन कामधेनु पृथ्वी पगु धारे ।

करके सुस्नान ध्यान पूजन पूरण विधान

ब्रिप्रनको दियौ दान नंदके दुलारे ॥

ग्वाल बाल टेर टेर दुहरी लीन्हीं नवेर

बछरा दीन्हें उबेर दूध दुहत सारे ।

करके भोजन गैयन सँग भये ग्वाल

बंसीबट तीर गये यमुना किनारे ।

मुरली कर लकुत हाथ बिहरत गोपिनके साथ

नटवर सब बेष किये यशुमतिके पियारे ।

हौं तो मैं शरण नाथ मिनवति धरि चरन माथ

रूपकुँवरि दरस हेतु शरण है तिहारे ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 23, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP