नामसप्तमी ( भविष्यपुराण ) -
यह व्रत चैत्र शुक्ल सप्तमीसे वर्षपर्यन्त होता है और चैत्रादि १२ महीनोंमे सूर्यके १२ नामोंसे यथाक्रम पूजन किया जाता है । यथा - १ चैत्रमें धाता, २ वैशाखामें अर्यमा, ३ ज्येष्ठमें मित्र, ४ आषाढ़्में वरुण, ५ श्रावणामें इन्द्र, ६ भाद्रपदमें विवस्वान् , ७ आश्विनमें पर्जन्य, ८ कार्तिकमें पूषा, ९ मार्गशीर्षमें अंशुमान, १० पौषमे भग, ११ माघमें त्वष्टा और १२ फाल्गुनमें जिष्णु नामसे यथाविधि पूजन करके एकभुक्त व्रत करे तो आयु, आरोग्यता और ऐश्वर्यकी अपूर्व सिद्धि होती है ।