सर्वज्ञ अनन्यचेतस, गुणकरके अत्यन्त लसित, ज्ञानकी मणि और अत्यन्त दर्शनीय ऐसे परमेश्वरको प्रणाम करके अपने गुरुके उपदेशसे स्वबुद्धयनुसार ऋषियोंकरके भाषित दशाबलको कहता हूं ॥१॥
तत्रादौ विंशोत्तरीदशानयन
एकसौ बीस वर्ष १२० में नवग्रहोंके दशावर्ष कहते हैं - सूर्यका बीसवां भाग अर्थात् ६ छः वर्ष दशाप्रमाण जानना, बारहवां भाग, चन्द्रमाके वर्ष, सूर्यके वर्षोंमें सूर्यके वर्षका छठा भाग युक्त करनेसे भौमके दशावर्ष होते हैं और सूर्यके तिगुने राहु, रवि और चन्द्र युक्त करनेसे गुरु, सूर्यके दूनेमें मंगलके वर्ष युक्त करनेसे शनिके वर्ष होते हैं । चन्द्रमें मंगल युक्त करै तौ बुध और केतु मंगलके समान और चन्द्रमाके दूने शुक्र यह परमायु इस प्रकार जानना । छः ६, दश १०, सात ७, अठारह १८, सोलह १६, उन्नीस १९, सतरह १७, सात ७ और बीस २० ये सूर्यादिकोंके यथाक्रमसे वर्ष जानना अर्थात् बुधके १७, केतुके ७ और शुक्रके २० वर्ष जानना, यह विंशोत्तरी दशाका क्रम है । छत्तीस ३६ कोष्ठकोंमें यथाक्रम वर्ष और कृत्तिका आदि देकर भरणी पर्यन्त नक्षत्र स्थापित करदे तो विंशोत्तरीदशाचक्र स्पष्ट होता है जैसा चक्रमें देखना ॥१-५॥