बुधसंध्यादशामें अनेकप्रकारसे मित्र कलत्र पुत्र करके धनका आगम, वणिजकरके संपूर्ण प्रयोंगोकरके काव्यकरके इंद्रजल और बाजीगरीके जुवांकरके द्विपकर्म मंत्रादिकरके ज्योतिष, सिद्धान्त रसादिकरके, भूमि, हेम, लोह, अपने राजा और पुत्रकरके धनका लाभ और सुखसौख्यकी वृद्धि हो और बुध यदि नीचशत्रुराशिमें अथवा अस्तको प्राप्त हो तो त्रिधातु विकारसे पीडा, अर्थका नाश, कलत्रहानि, राजबंधन, अधिक दुःख और राजाकरके पीडित होता है ॥१-३॥