बृहस्पतिकी संध्यादशामें अत्पन्त सुखका लाभ, हेम, राज, अश्व, रत्न आदिके व्यापारसे धनका लाभ होता है । पुत्रसुख, अपने धर्ममें सिद्धि, देवता, ब्राह्मणकी पूजा, अपने जनोंका आगम, देवस्थानका प्रवेश, अर्थकी सिद्धि, सम्मान, अति आनंद, भूपाल सौख्य और विविध अर्थका लाभ होता है और नीचादिमें बृहस्पति स्थित हो तो विदेशका गमन, सुकृत अर्थका नाश, राज्यका भंग, पुत्रकष्ट, रोग और बहुत दुःख होता है ॥१-३॥