शनिकी सन्ध्यादशामें लाभ, अपने कुलका अधिकार, गदहा ऊंट गौ पाक्षिक धान्य वस्त्र कुलथी माषादिक कोदोंका लाभ, वृन्दका स्वामी, ग्रामपदका स्वामी, कुलकी उन्नति, नीचजनोंमें प्रमाण, लोहा, सीसा, त्रपु, महिषी आदिकरके धनका आगम, चौपायेसे मृत्यु । और नीच शत्रुराशिमें हो तो अथवा अस्तको प्राप्त हो तो कष्ट, भाई, स्त्री, पुत्र, अर्थका नाश, देहमें रोग और अग्निविकारसे रोग होता है ॥१-३॥
नैसर्गिक आदिक बारह प्रकारकरके पूर्व जो दशा अन्तर कहा है तहां भी संध्यादशाफल उसके समानही चिंतवन करै ॥१॥
इति सन्ध्यादशाफल संपूर्ण ॥