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परिमल
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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परिमल
Meanings: 19; in Dictionaries: 7
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - प्रेयसी
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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perfume
Meanings: 15; in Dictionaries: 5
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fragrance
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
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scent
Meanings: 11; in Dictionaries: 4
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aroma
Meanings: 10; in Dictionaries: 6
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sex
Meanings: 28; in Dictionaries: 12
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sex activity
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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sexual activity
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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sexual practice
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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(मनाचा) मांडा मनांत खाणें
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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परमल
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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सूर्यकांत त्रिपाठी - परिचय
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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भजन - मोतीयाचे पाणी रांजण भरीला...
भजन - A bhajan or kirtan is a Hindu devotional song , often of ancient origin. Great importance is attributed to the singing of bhajans with Bhakti , i.e. loving devotion. "Rasanam Lakshanam Bhajanam" means the act by which we feel more closer to our inner self or God, is a bhajan. Acts which are done for the God is called bhajan.
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परिमलित
Meanings: 10; in Dictionaries: 5
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मनांत मांडे खाणें
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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अर्थालंकार - छेकोक्ति
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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स्त्रीगीत - गाणे रामजन्माचे
मराठीतील स्त्रीगीतांना मातीचा वास आहे, कुळाचे ओज आहे, कारुण्याची चाल आहे, सुगरणीचा साज आहे आणि घरंदाज घरमालकिणीचा साटोपही आहे.
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fragrant
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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स्त्रीगीत - गाणे तिळगुळाचे
मराठीतील स्त्रीगीतांना मातीचा वास आहे, कुळाचे ओज आहे, कारुण्याची चाल आहे, सुगरणीचा साज आहे आणि घरंदाज घरमालकिणीचा साटोपही आहे.
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पंथ - मन्मना जगाचा पंथ तुझा नच ...
बालकवी ऊर्फ त्र्यंबक बापूजी ठोंबरे (इ.स. १८९०-इ.स. १९१८) यांचा मराठीतील सर्वश्रेष्ठ निसर्गकवी म्हणून यथार्थ गौरव केला जातो.
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odour
Meanings: 12; in Dictionaries: 8
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संगीत तुरुंगाच्या दारात
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
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संगीत ययाती देवयानी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
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सुगंध
Meanings: 17; in Dictionaries: 9
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दोन फुलें - हीं कालाचीं दोन फुले दों ...
बालकवी ऊर्फ त्र्यंबक बापूजी ठोंबरे (इ.स. १८९०-इ.स. १९१८) यांचा मराठीतील सर्वश्रेष्ठ निसर्गकवी म्हणून यथार्थ गौरव केला जातो.
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नवविधाभक्तिनाम - ॥ समास सातवां - दास्यभक्तिनिरुपणनाम ॥
‘हरिकथा’ ब्रह्मांड को भेदकर पार ले जाने की क्षमता इसमें है ।
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राष्ट्राचे उद्यान - राष्ट्रीय जीवन ओसाड मैदान...
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
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कैसे लावियले मी दार - पडला हा अंधार कैसे लावियल...
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
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गंध
Meanings: 16; in Dictionaries: 7
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भृंग
केशवसुतांच्या काव्यांवर क्रांतिकारक विचारांचा, स्वातंत्र्यवादाचा, मानवधर्माचा आणि आत्मनिष्ठेचा प्रभाव आहे.
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साधुदास - सवाई दु:ख पुरे रमणीय पाह...
मराठी शब्दसंपत्ति
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मुक्तेश्वरांची कविता
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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संगीत शापसंभ्रम
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
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तत्त्वान्वय का - ॥ समास सातवां - महद्भूतनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
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पूजा विधी - षोडशमातृका पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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गीतगोविन्दम् - जयदेवऋत अष्टपदि
गीतगोविन्दम्
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नवविधाभक्तिनाम - ॥ समास पांचवां - अर्चनभक्तिनाम ॥
‘हरिकथा’ ब्रह्मांड को भेदकर पार ले जाने की क्षमता इसमें है ।
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स्तवणनाम - ॥ समास दूसरा गणेशस्तवननाम ॥
इस ग्रंथ के श्रवण से ही ‘श्रीमत’ और ‘लोकमत’ की पहचान मनुष्य को होगी.
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अध्याय २ रा - प्रारंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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जयदेवककृत अष्टपदि - सखी हे केऽसि मदनमुदारम् र...
भगवान श्रीकृष्ण विष्णुचा आठवा अवतार आहे. श्रीकृष्णाचा अवतार पूर्ण अवतार समजतात. Lord Krishna is the eighth and the most popular incarnation of Lord Vishnu.
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आर्या-गीता अध्याय १५ वा
भजनाचे सांप्रदाय - एक रामदासी सांप्रदाय आणि दुसरा वारकरी सांप्रदाय.
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नामरूप - ॥ समास नववां - आत्मविवरणनाम ॥
इस ग्रंथराज के गर्भ में अनेक आध्यात्मिक ग्रंथों के अंतर्गत सर्वांगीण निरूपण समाया हुआ है ।
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पूर्णदशक - ॥ समास आठवां - देहक्षेत्रनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथके पठनसे ‘‘उपासना का श्रेष्ठ आश्रय’ लाखों लोगों को प्राप्त हुआ है ।
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अखंडध्याननाम - ॥ समास पांचवां - हरिकथालक्षणनिश्चयनाम ॥
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।
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प्रसन्न काण्ड: - सर्ग १४
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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शिव-पूजा
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
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स्कंध १० वा - अध्याय ३२ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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श्री कृष्णा माहात्म्य - अध्याय ९
विष्णूंच्या चरणांपासून कृष्णा नदी उत्पन्न झाली म्हणून तिचे पाणी विष्णुपादोदक आहे. त्यामुळे गंगेपेक्षाही तिचे महत्त्व अधिक आहे.
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