नंद n. गोकुल एवं नंदगॉंव में रहनेवाला गोपों का राजा एवं कृष्ण का पालक पिता
[म.स.परि.१.२१.७४५-७४७] । इसकी पत्नी यशोदा । यह द्रोणनामक वसु के अंश से उत्पन्न हुआ था
[भा.१०.८.४८] . पद्म.सृ.१३; ब्र.१३) । वसुदेव ने अपने नवजात बालक श्रीहरि को इसके घर में छिपा दिया था
[भा.१०.३.५१] । एक बार यह गुप्त रुप से वसुदेव से मिला भी था
[भा.१०.४६.२७-३००] । श्रीकृष्ण बहुत वर्षो तक नंद गोप के घर रहा था । एक बार यह पानी में डूब रहा था । किंतु कृष्ण ने इसे बाहर निकाला
[भा.१०.२८.२-९] । यह स्यमन्तपंचक क्षेत्र में कृष्ण से मिलने गया था
[भा.१०.८२.३१] । यह हरसाल ‘इंद्रयाग’ नामक इंद्र का उत्सव करता था । किंतु वह उत्सव बंद कर, कृष्ण ने इससे कार्तिक शुद्ध प्रतिपदा के दिन ‘अन्नकूट’ का उत्सव प्रारंभ किया
[भवि.प्रति.४.१९.६१] । यह जब कृष्ण विरह से व्याकुल हुआ । तब उद्धव ने इसका सांत्वन किया
[भा.१०.४६.२७-३०] । नंदगोप के कुल में यशोदा के गर्भ से एक कन्या उत्पन्न हुई थी । यह साक्षात् जगज्जननी दुर्गा का स्वरुप मानी जाती है । युधिष्ठिर ने विराटनगर जाते समय, उस देवी का चिंतन किया, एवं देवी ने प्रत्यक्ष दर्शन दे कर उसे वर दिया
[म.वि.परि१.४] । अर्जुन ने भी नंदगोप के कुल में उत्पन्न इस, देवी का स्तवन किया, एवं उसे विजयसूचक आशीर्वाद प्राप्त हुआ
[म.भी.२३] । यह मधुरपुरी उर्फ मथुरा के आसपास के महावन में रहनेवाले आभीर भानु नामक गोपों का मुखिया था । आभीर भाबु-चन्द्रसुरभि-सुश्रवस्-कालमेदु-चित्रसेन-नंद इस क्रम से इसकी वंशावलि महाभारत में दी गयी है । इसके पिता चित्रसेन को कुल नौ पुत्र थेः
नंद II. n. एक विष्णुभक्त राजा । इसकी भक्ति से संतुष्ट हो कर विष्णु ने इसे एक सुंदर विमान दिया था । एक बार इसे मानसरोवर के सुवर्णकमलों का अपहार करने की दुर्बुद्धि हुई । तत्काल इसका विमान नष्ट हो कर इसके सरे शरीर पर कोढ हुआ । पश्चात् वसिष्ठ की सलाह के अनुसार, इसने प्रभासक्षेत्र में तप किया । उस तप के पुण्यसंचय के कारण यह मुक्त हो गया
[स्कंद.७.१.२५६] ।
नंद III. n. वसुदेव को मदिरा से उत्पन्न पुत्र
[भा.९.२४.८] ।
नंद IV. n. (सो.कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । भीम ने इसका वध किया
[म.क.३५.१७] ।
नंद IX. n. स्कंद का एक सैनिक
[म.श.४४.६३] ।
नंद V. n. (नंद. भविष्य) मगध देश का राजा । महानंदिन् के समय, शिशुनाग वंश का अंत हो कर शूद्रापुत्र नंद गद्दी पर बैठा । इसने महानंदी का वध कर राज्य छीना था । इसके वंश में सुमाल्यादि आठ पुरुषों ने सौ वर्षातक राज्य किया । कौटिल्य ने नंद के आठ राजपुत्रों का वध कर, चन्द्रगुप्त को गद्दी पर बैठाया ।
[भा.१२.१] । कई पुराणों में, ‘सुमाल्या’ दि के बदले ‘सुकल्पा’ दि पाठ प्राप्त है
[विष्णु.४.२२-२४] ;
[वायु. २.३७] ;
[ब्रह्मांड.३.७४] । नंद के जीवितकाल में ही कौटिल्य का विरोध प्रारंभ हो कर, नंद तथा उसके आठ पुत्र कौटिल्य के षड्यंत्र के कारण मारे गये, तथा नवनंदों का नाश हो कर चन्द्रगुप्त गद्दी पर बैठा
[मत्स्य. २७२] कलि के तीन हजार तीन सौ दस वर्षे समाप्त होने पर, नंदराज्य का प्रारंभ हुआ था
[स्कंद.१.२.४०] ।
नंद VI. n. एक पिशाच। इसके पिशाच योनि में जाने पर मुनिशर्मा नामक ब्राह्मण ने इसका उद्धार किया
[पद्म.पा.९४] ।
नंद VII. n. विष्णु का एक पार्षद
[भा.४.१२.२२] ।
नंद VIII. n. एक कश्यपवंशी नाग
[म.उ.१०१.१२] ।
नंद X. n. ०. स्कंद का एक सैनिक
[म.श.४४.६४] ।