स्वायंभुव (मनु) n. एक सुविख्यात राजा, जो स्वायंभुव नामक पहले मन्वंन्तर का अधिपति मनु माना जाता है । ‘मनुस्मृति’ नामक सुविख्यात धर्मशास्त्रविषयक ग्रंथ का कर्ता यही माना जाता है (मनु स्वायंभुव देखिये) ।
स्वायंभुव (मनु) n. भागवत में नवखण्डात्मक पृथ्वी का वर्णन प्राप्त है, जिनमें से भरतखंड नामक नौवाँ खण्ड आधुनिक भारतवर्ष माना जाता है । इस खण्ड में से ब्रह्मावर्त नामक प्रदेश में स्थित बर्हिष्मती नगरी का सर्वाधिक प्राचीन राजा स्वायंभुव मनु माना जाता है ।
स्वायंभुव (मनु) n. भागवत में स्वायंभुव मनु को समस्त पृथ्वी का सम्राट् कहा गया है
[भा. ३.२१.२५, २२.२९] । उस समय सारी पृथ्वी समतल एवं अखण्ड थी, वह आज की तरह समुद्रों में विभाजित न थी ।
स्वायंभुव (मनु) n. इसकी पत्नी का नाम शतरूपा (बार्हिष्मती) था, जिससे इसे प्रियव्रत एवं उत्तानपाद नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए । इनमें से अपने ज्येष्ठ पुत्र प्रियव्रत को स्वायंभुव ने अपना पृथ्वी का सारा राज्य प्रदान किया । प्रियव्रत के राज्यकाल में पृथ्वी में स्थित समुद्रों का विस्तार हुआ, एवं सारी पृथ्वी सात द्वीप एवं सात समुद्रों में विभाजित हुई। प्रियव्रत के कुल दस पुत्र थें, जिनमें से तीन बाल्यकाल से ही वन में चले गये। इसी कारण अपना सात द्वीपों का पृथ्वीव्याप्त राज्य प्रियव्रत ने अपने उर्वरित सात पुत्रों में बाँट दिये। प्रियव्रत के द्वारा अपने सात पुत्रों में विभाजित किये गये सात द्वीपों के नाम, एवं उनका आधुनिककालीन संभव्य भौंगोलिक स्थानआदि निम्नलिखित तालिका में दिया गया है । प्राचीन-कालीन सप्तद्वीपात्मक पृथ्वी की भौगोलिक जानकारी की दृष्टि से यह तालिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैः---
पुत्र का नाम - अग्निध
द्वीप - जंबूद्वीप
संभाव्य आधुनिक स्थान - एशिया खण्ड ( इसी खण्ड में अग्निध्र की बार्हिष्मती नामक नगरी थी ) ।
पुत्र का नाम - इध्मजिह्व
द्वीप - प्लक्षद्वीप
संभाव्य आधुनिक स्थान - यूरप खण्ड ।
पुत्र का नाम - यज्ञबाहु
द्वीप - शाल्मलिद्वीप
संभाव्य आधुनिक स्थान - अटलँटिस् खण्ड, जहाँ वर्तमानकाल में अटलँटिक महासागर है ।
पुत्र का नाम - हिरण्यरेतस्
द्वीप - कुशद्वीप
संभाव्य आधुनिक स्थान - आफ्रिका खण्ड ।
पुत्र का नाम - घृतपृष्ठ
द्वीप - क्रौंचद्वीप
संभाव्य आधुनिक स्थान - उत्तर अमरिका खण्ड ।
पुत्र का नाम - मेधातिथि
द्वीप - शाकद्वीप
संभाव्य आधुनिक स्थान - दक्षिण अमरिका खण्ड ।
पुत्र का नाम - वीतिहोत्र
द्वीप - पुष्करद्वीप
संभाव्य आधुनिक स्थान - दक्षिण ध्रुव खण्ड ( अँटार्टिका खण्ड ) ।
स्वायंभुव (मनु) n. अग्निध को जंबुद्वीप का राज्य प्राप्त हुआ, जो आगे चल कर उसने अपने अपने नौ पुत्रों में विभाजित किया । प्राचीन जंबुद्वीप (एशियाखण्ड) के भौगोलिक विभाजन की जानकारी प्राप्त करने की दृष्टि से, अग्निध्र का यह राज्यविभाजन अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता हैः--
पुत्र का नाम - इलावृत
द्वीपविभाग - इलावृतवर्ष ।
पुत्र का नाम - रम्यक
द्वीपविभाग - रम्यकवर्ष ।
पुत्र का नाम - हिरण्य
द्वीपविभाग - हिरण्यवर्ष ।
पुत्र का नाम - कुरु
द्वीपविभाग - उत्तरकुरुवर्ष ।
पुत्र का नाम - भद्राश्च
द्वीपविभाग - भद्राश्ववर्ष ।
पुत्र का नाम - किंपुरुष
द्वीपविभाग - किंपुरुषवर्ष ।
पुत्र का नाम - नाभि
द्वीपविभाग - नाभिवर्ष, जो आगे चल कर अजनाभवर्ष अथवा भारतवर्ष नाम से सुविख्यात हुआ ।
स्वायंभुव (मनु) n. इस साहित्य में इसे ब्रह्मा का पुत्र कहा गया है, एवं सृष्टि एवं प्रज्ञा की वृद्धि के लिए इसका निर्माण ब्रह्मा के द्वारा किये जाने का निर्देश वहाँ प्राप्त है
[मत्स्य. ३.३१] । इसे विराज नामान्तर भी प्राप्त था
[मत्स्य. ३.४५] । जन्म के समय यह अर्धनारी देहधारी था । आगे चल कर ब्रह्मा ने इसे आज्ञा दे कर, इसके शरीर के स्त्री एवं पुरुषात्मक दो भाग किये गये जिसमें से पुरुष दे भाग से यह, एवं स्त्री देहभाग से इसकी पत्नी शतरूपा बन गयी
[मार्क. ५०] ;
[विष्णु. १.७२] ;
[भा. ३.१२.५३] ;
[वायु. १.१.१०] ।