राम जपु, राम जपु, राम जपु, बावरे ।
घोर-भव नीर-निधि नाम निज नाव रे ॥१॥
एक ही साधन सब रिद्धि सिद्धि साधि रे ।
ग्रसे कलि रोग जोग संजम समाधि रे ॥२॥
भलो जो है, पोच जो है, दाहिनो जो बाम रे ।
राम-नाम ही सों अंग सबहीको काम रे ॥३॥
जग नभ-बाटिका रहीहै फलि फूलि रे ।
धुवाँ कैसे धौरहर देखि तू न भूलि रे ॥४॥
राम-नाम छाँड़ि जो भरोसो करै और रे ।
तुलसी परोसो त्यागि माँगे कूर कौर रे ॥५॥