हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास भजन|भजन संग्रह १|
कहु केहि कहिय कृपानिधे !...

भजन - कहु केहि कहिय कृपानिधे !...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


कहु केहि कहिय कृपानिधे ! भव-जनित बिपति अति ।

इन्द्रिय सकल बिकल सदा, निज निज सुभाउ रति ॥१॥

जे सुख संपति सरग नरक संतत सँग लागी ।

हरि ! परिहरि सोइ जतन करत मन मोर अभागी ॥२॥

मैं अति दीन, दयालु देव, सुनि मन अनुरागे ।

जो न द्रवहु रघुबीर धीर काहे न दुख लागे ॥३॥

जद्यपि मैं अपराध-भवन, दुख-समन मुरारे ।

तुलसीदास कहँ आस यहै बहु पतित उधारे ॥४॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 15, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP