है आशिक और माशूक जहाँ वाँ शाह वजीरी है बाबा !
नै रोना है, नै धोना है, नै दर्दे असीरी है बाबा !
दिन-रात बहारें-चोहलें हैं, औ ऐसे सफीरी है बाबा !
जो आशिक हुए सो जानै हैं, यह भेद फकीरी है बाबा !
हर आन हँसी, हर आन खुशी, हर वक्त अमिरी है बाबा !
जब आशिक मस्त फकिर हुए, फिर क्या दिलगीरी है बाबा !