भजन - है आशिक और माशूक जहाँ वाँ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


है आशिक और माशूक जहाँ वाँ शाह वजीरी है बाबा !

नै रोना है, नै धोना है, नै दर्दे असीरी है बाबा !

दिन-रात बहारें-चोहलें हैं, औ ऐसे सफीरी है बाबा !

जो आशिक हुए सो जानै हैं, यह भेद फकीरी है बाबा !

हर आन हँसी, हर आन खुशी, हर वक्त अमिरी है बाबा !

जब आशिक मस्त फकिर हुए, फिर क्या दिलगीरी है बाबा !

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Last Updated : December 25, 2007

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