कुछ जुल्म नहीं, कुछ जोर नहीं, कुछ दाद नहीं, फरियाद नहीं ।
कुछ कैद नहीं, कुछ बंद नहीं, कुछ जब्र नहीं, आजाद नहीं ॥
शागिर्द नहीं, उस्ताद नहीं, बीरान नहीं, आबाद नहीं ।
हैं जितनी बातें दुनियाँकी, सब भूल गये कुछ याद नहीं ॥
हर आन हँसी, हर आन खुशी, हर वक्त अमीरी है बाबा !
जब आशिक मस्त फकीर हुए, फिर क्या दिलगीरी है बाबा !