जिस सिम्त नजर कर देखें है, उस दिलवर की फुलवारी है ।
कहीं सब्जीकी हरियालई है, कहीं फूलों की गुलक्यारी है ॥
दिन-रात मगन खुस बैठे हैं और आप ही वो भंडारी है ॥
हर आन हँसी, हर आन खुशी, हर वक्त अमीरी है बाबा !
जब आशिक मस्त फकीर हुए, फिर क्या दिलगीरी है बाबा !