क्या इल्म उन्होंने सीख लिये, जो बिन लेखेंको बाँचे हैं ।
और बात नहीं मुँहसे निकले, बिन होठ हिलाये जाँचे है ॥
दिन उनके तार सितारोंके, तन उनके तबल तमाँचे है ।
मुँहचंग जबा दिल सारंगी, पा घुँघरू हाथ कमाँचे है ॥
है राग उन्हीके रंग-भरे, और भाव उन्हीके साँचे है ।
जो बे-गत बे-सुरताल हुए, बिन ताल पखावज नाचे है ॥