मराठी मुख्य सूची|मराठी साहित्य|गाणी व कविता|कृष्णाजी नारायण आठल्ये| श्लोक [मालिनी] कृष्णाजी नारायण आठल्ये प्रस्तावना श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [मालिनी] श्लोक [इंद्रवजा] श्लोक [भुजंगप्रयात] श्लोक [इंद्रवज्रा] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [भुजंगप्रयात] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [शिखरिणी] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [पृथ्वीवृत्त] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [स्त्रग्धरा] श्लोक [द्रुतविलंबित] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [पृथ्वीवृत्त] श्लोक [भुजंगप्रयात] श्लोक [स्त्रग्धरा] तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [मालिनी] हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले. Tags : poemsongकवितागाणीमराठी श्लोक [मालिनी] Translation - भाषांतर धड धड छाती होतसे सर्व काल ।पळ न कळत केव्हां क्षुब्ध होईल काल ॥निशिदिनि सकलांना शत्रुचा धाक वाटे ।स्मरुनि सकल माझा भीतिने कंठ दाटे ॥१५॥ N/A References : N/A Last Updated : November 11, 2016 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP