श्री विजयादुर्गेचें पद
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
हरुनि अपजया जोडिसि विजया, ह्मणुनि ह्मणति तुज विजया ग ॥धृ०॥
दुष्ट असुरजन वधिले येउनि, अष्ट भुजी तूं उदया ॥ह०॥१॥
इष्टदेवि संकट वारुनि मज, तुष्टविसी चिर हृदया ग ॥ह०॥२॥
वैष्णव कृष्ण जगन्नाथावरि, पूर्णपणें करि स्व दया ग ॥ह०॥३॥
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Last Updated : January 17, 2018
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